ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
ऑस्टियोपोरोसिस ऐसी स्थिति है जिसमें हड्डियाँ कमजोर और पतली होने लगती हैं। जब हड्डियों में घनत्व कम होता है तो उनके टूटने की संभावना बढ़ जाती है। शुरुआत में कोई दर्द या बदलाव महसूस नहीं होता, लेकिन बाद में हल्की चोट या गिरने पर भी फ्रैक्चर हो सकता है।
भारत में स्थिति
कई लोग धूप की कमी और भोजन में विटामिन-डी की कमी के कारण इस समस्या से प्रभावित होते हैं। उम्र बढ़ने के साथ हड्डी का घनत्व धीरे-धीरे घटता जाता है। महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद यह कमी और तेज हो जाती है।
जोखिम बढ़ाने वाले कारण
- महिला होना, उम्र का बढ़ना
- परिवार में ऐसे मामले होना
- शारीरिक गतिविधि की कमी
- कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी
- धूम्रपान और अधिक शराब
- बहुत कम वजन
- कुछ दवाएँ जैसे स्टेरॉइड
- गठिया जैसी बीमारियाँ
हड्डियों में कमी कैसे होती है?
हमारी हड्डियाँ प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य खनिजों से बनी होती हैं। धीरे-धीरे जब इनका संतुलन बिगड़ता है, तो हड्डियाँ छिद्रदार और कमजोर होने लगती हैं। पहले स्तर को ऑस्टियोपीनिया कहा जाता है। ध्यान न देने पर यही आगे बढ़कर ऑस्टियोपोरोसिस बन सकता है।
चार्ट : हड्डियों के लिए ज़रूरी पोषक तत्व
| पोषक तत्व | दैनिक आवश्यकता | स्रोत |
| कैल्शियम | 1200–1500 mg | दूध, दही, पनीर, हरी सब्ज़ियाँ, मछली |
| विटामिन-D | 800–1000 IU | धूप, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ, मछली |
| फॉस्फोरस | 700–1250 mg | अनाज, दालें, मेवे, दूध |
| मैग्नीशियम | 300–750 mg | हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, दालें, बीज, मेवे |
कमज़ोर हड्डियों के प्रभाव
कमर का झुकना, कद कम होना, लगातार दर्द और चलने-फिरने में दिक्कत जैसे लक्षण दिख सकते हैं। कई बार रीढ़ की हड्डी दब जाती है और कूल्हे का फ्रैक्चर लंबे समय तक ठीक नहीं होता।
नमक, मोटापा और सप्लीमेंट से जुड़ी बातें
अधिक नमक खाने से शरीर के साथ कैल्शियम भी बाहर निकल सकता है, जिससे हड्डियों पर असर पड़ सकता है। पहले ऐसा माना जाता था कि मोटापा हड्डियों को सुरक्षा देता है, लेकिन शोध बताता है कि शरीर में अधिक चर्बी हड्डियों की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
कई लोग कैल्शियम और विटामिन-D सप्लीमेंट लेते हैं, लेकिन इनके ज़रूरत से ज़्यादा सेवन से किडनी स्टोन और हार्ट से जुड़ी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इसलिए इन्हें बिना सलाह के नहीं लेना चाहिए।
कैसे बचाव करें?
- नियमित चलना, योग या हल्का भार उठाने वाले व्यायाम
- धूम्रपान से दूरी
- शराब का सीमित सेवन
- धूप में समय बिताना
- संतुलित और पौष्टिक भोजन
- वजन को संतुलित रखना
- नमक कम लेना
निष्कर्ष
यदि समय पर ध्यान दिया जाए तो हड्डियों को मजबूत बनाए रखना संभव है। दैनिक आदतों में छोटे बदलाव, पौष्टिक भोजन और नियमित गतिविधि से हड्डियों की कमजोरी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। लेख में बताई गई जानकारियाँ अपने शरीर को बेहतर समझने में मदद करती हैं और हड्डियों की देखभाल करने के आसान तरीके बताती हैं।
किसी भी बड़े आहार, जीवनशैली या दवा से जुड़े परिवर्तन से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श करें।
वे आपकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति और मेडिकल हिस्ट्री के अनुसार व्यक्तिगत सलाह प्रदान कर सकते हैं।
नोट – यदि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी चिंता है, तो कृपया हमें +91-9058577992 पर संपर्क करें और हमारे अनुभवी डॉक्टरों से मुफ्त परामर्श प्राप्त करें। धन्यवाद।
